युद्ध हिंसा एवं आतंकवाद की समाप्ति के लिए अजेय (वैदिक) सुरक्षा तकनीक
युद्धों का इतिहास साक्षी है कि संधियां, समझौते एवं कूटनीतिक प्रयास युद्धों को समाप्त करने में सफल नहीं हुए हैं। शक्तिशाली निकायों जैसे-संयुक्त राष्ट्र संघ में कुछ स्थायी सदस्य भी सम्मिलित हुए। आतंकवाद ने हिंसा के संप्रदाय को भयावह आयाम तक पहुंचाया हैं। मुठ्ठी भर आतंकवादी शक्तिशाली राष्ट्र को बंधक बना सकते हैं। सामूहिक विनाश के हस्तचलित हथियारों की सहज उपलब्धता एवं उनकी निरन्तर सामयिक आपूर्ति आत्मघाती दस्तों द्वारा किया जाना अत्यन्त भयानक है। घातक हथियार एवं भारी भरकम सेनाएं भी युद्ध, हिंसा एवं आतंकवादीयों को रोकने या नष्ट करने में असहाय है। ऐसा लगता है कि इनके विरूद्ध कुछ भी कार्य नहीं हो पा रहा है। संपूर्ण विश्व में विध्वंसक घटनायें बढ़ती जा रही हैं। शक्तिशाली राष्ट्रों के आधुनिक विनाशक हथियारों के बावजूद असफल होने का कारण यह है कि वे हिंसा के वास्तविक कारण पर निशाना नहीं साधते, जो कि वैदिक विचारधीलता के अनुरूप समाज की सामूहिक चेतना में तनाव के संचय के कारण उत्पन्न सुसंबद्धता की कमी है। हमारे पास ऐसा कोई हथियार नहीं है जो समाज में व्याप्त तनाव को हटा सके। यह एक मानवीय समस्या है, जो मानवीय समाधान की माँग करती है। विश्व में सैन्य विशेषज्ञ सुरक्षा की आधुनिक हथियारोन्मुखी प्रौद्योगिकी पर प्रश्न उठाने लगे हैं क्योंकि विध्वंसक गोला-बारूद राष्ट्र को गंभीर शत्रु, आक्रमणों एवं आतंकवादी गतिविधियों से सुरक्षा नहीं प्रदान कर पा रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम चेतना की प्राचीन वैदिक तकनीक को व अजेय सुरक्षा तकनीक को लागू करें, जिसे आधुनिक भौतिकी ने भी कड़े शोध के बाद शांति स्थापित करने का सर्वाधिक व्यावहारिक मार्ग बताया है। इसे महर्षि महेश येगी जी द्वारा पुनर्जीवित किया गया है एवं विगत पांच दशकों में युद्ध क्षेत्रों सहित इसका वृहत परीक्षण किया गया है। परिणामों में प्रमाणित हुआ है कि आतंकवाद एवं सामाजिक हिंसा में अजेय सुरक्षा तकनीक के प्रयोग काफी गिरावट को दर्शाते है। यह एक निवारोन्मुखी, मानव संसाधन आधारित, अत्यन्त सरल, गैर विध्वंसक, जीवन पोषणीय पद्धति है, जो तत्काल परिणाम दर्शाती है। इस तकनीक पर अनुसंधान के परिणाम भौतिकी (क्वांटम फिजिक्स), स्नायु विज्ञान (न्यूरो साइंस) एवं मानव चेतना के क्षेत्र में सर्वाधिक उन्नत शोधों द्वारा दर्शाये गये है। यह तकनीक एक सशक्त प्रतिरोधक है जो समाज में व्याप्त तनाव एवं दबाव को दूर करने में पूर्णतः सक्षम है, जो कि क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं वैश्विक संघर्षों का मूल कारण है। इस अजेय सूरक्षा तकनीक के प्रयोग हेतु चेजना की निर्दिष्ट तकनीक का अभ्यास करने वाले एवं सुसंबद्धता निर्मित करने वाले विशेषज्ञ समूहों के तत्काल गठन की आवश्यकता है, जिसे वैज्ञानिक रूप् से जातीय, राजनीतिक एवं धार्मिक तनावों, युद्ध, हिंसा, आतंकवाद एवं सामाजिक संघर्षो के कारण को समूल नष्ट करने वाला दर्शाया गया है। यह परस्पर विराधाभासी स्थिति में भी शत्रुता के भाव को समाप्त करता है, आपसी संघर्षो को समाप्त करने के लिए अनुकूल शांतिपूर्ण सहयोगात्मक वातावरण निर्मित करके, शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। अजेय सुरक्षा कार्यक्रम भावातीत ध्यान (टी. एम.) के व्यक्तिगत एवं सामूहिक अभ्यास के शक्तिशाली प्रभावों का उपयोग करता है एवं इसकी अद्यतन तकनीक टी.एम. सिद्धी कार्यक्रम एवं योगिक उड़ान कार्यक्रम प्रत्येक अभ्यासकर्ता में सुसंबद्धता निर्मित करती है। व्यक्तिगत चेतना में सुसंबद्धता सामूहिक चेतना में सुसंबद्धता को प्रसारित करती है, जो पारस्परिकता के सिद्धांत के कारण से व्यक्तिगत सतोगुणी चेतना को आगे प्रसारित और विस्तारित करती जाती है। इसका तात्पर्य यह है कि एक बार प्रबुद्धता प्राप्त होने पर प्रक्रिया स्वतः स्फूर्त बन जाती है, जिसके प्रकाश में संपूर्ण समाज से तनाव समाप्त हो जाता है एवं सामन्जस्यपूर्ण व शांतिपूर्ण वातावरण निर्मित हो जाता है। भौतिक शास्त्र की ‘सुपरस्ट्रिंग थ्योरी’ की नवीन शोध ने स्पष्ट कर दिया है कि चार क्षेत्रबल (गुरूत्वीय, विद्युत चुंबकीय, दुर्बल एवं सशक्तअन्तर्क्रिया,) जिन्हें पूर्व में सुष्टि की समस्त अन्तर्क्रिया के लिए उत्तरदायी माना जाता था, वास्तव में प्राकृतिक विधान के एक एकीकृत हैं क्षेत्र के अंदर मूलभूत स्तर पर एकीकृत हैं जो कि प्रकृति में समस्त घटनाओं के लिए उत्तरदायी हैं एवं संपूर्ण सृष्टि में निहित सुव्यवस्था का पूर्ण स्त्रोत हैं। यही बुद्धि एवं चेतना का क्षेत्र भी है। अजेय सुरक्षा कार्यक्रम समत्व योग के क्षेत्रयुक्त एक सरल तकनीक का उपयोग करता है, जिसे ‘भावातीत ध्यान’ कहते हें। अभ्यासकर्ता द्वारा भावातीत के सामूहिक अभ्यास से समत्व योग के क्षेत्र को जागृत किया जाता है। इस प्रयोग से शुद्ध चेतना का अनुभव होता है एवं उनकी मस्तिष्क कार्य प्रणाली पूर्णतया सुसंबद्ध होती है। भावातीत ध्यान की आत्मपरक पद्धति द्वारा चेतना का एक स्पंदन समत्व योग के क्षैत्र को, चेतना के क्षैत्र को भी उत्प्रेरित कर सकता है, जिससे समाज की सामूहिक चेतना में सतोगुण के उभार का मार्ग प्रशस्त होता है। चूँकि यह विधान प्रकृति के विधान के गहनतम, सर्वाधिक शक्ति पूर्ण एवं समग्रता के स्तर से कार्य करता है। इसके प्रभाव व्यापक एवं अपरिहार्य हैं। जब समाज की एक प्रतिशत जनसंख्या भावातीत ध्यान का सामूहिक अभ्यास करती है तो संपूर्ण जनसंख्या लाभान्वित होती है, अधिक सुसंबद्ध सतोगुणी चेतनावान हो जाती है। जब एक प्रतिशत का वर्गमूल भावातीत ध्यान एवं सिद्धि कार्यक्रम एवं, योगिक उड़ान का एक स्थान पर एक साथ अभ्यास करता है तो वही प्रभाव प्राप्त होता है, जबकि अभ्यासकर्ताओं की संख्या काफी कम हो गयी होती है। योगिक फ्लायर्स का (योगिक उड़ान भरने वालों का) यह समूह ‘सुपर रेडिएंस समूह’ अथवा ‘सत्व निर्माण करने वाला समूह’ भी कहा जाता है, जो समत्व योग के एकीकृत क्षेत्र को जीवंत करता है, सब लोगों को समानरूप् से प्रभावित कर सकता है, उन लोगों सहित, जो ध्यान नहीं कर रहे हैं एवं इसके सामूहिक अभ्यास व उसके लाभ से अवगत नहीं है। यह उसी प्रकार है जैसे सूर्य का प्रकाश चाहे और अनचाहे दोनों को ही अपनी ऊर्जा प्रदान करता है। योगिक फ्लायर्स का समूह जितना बड़ा होता है, सुसंबद्धता का क्षेत्र भी उतना ही विस्तृत होता है, सतोगुण उतना ही बढ़ता जाता है, जो एकता की शक्तिशाली तरंगों को उत्पन्न करता है, जो पूरे समाज की सामूहिक चेतना में सत्व का उभार लाता है। वैदिक सुसंबद्धता के लिए पूरे विश्व के लिए हमें 9000 योगिक फ्लायर्स की आवश्यकता है, जो कि विश्व की जनसंख्या के एक प्रतिशत का वर्गमूल है। सुपर रेडिएंस समूह की शक्ति को एक राष्ट्र अथवा समाज की जनसंख्या के एक प्रतिशत के वर्गमूल के आंकड़े द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। सामूहिक चेतना में सुसंबद्धता-पर्याप्त सतोगुण एक राष्ट्र को अजेयता की ओर अग्रसर करता है। यह मात्र आशा नहीं है, यह संपूर्ण संसार में ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध संस्थाओं द्वारा किये गये सैकड़ों अध्ययनों एवं शोधों द्वारा समर्थित एवं प्रमाणित है, आधुनिक वस्तुनिष्ठ विज्ञान द्वारा प्रमाणित है। अजेय सुरक्षा तकनीक को सामाजिक द्वन्द, आतंकवाद, युद्ध आदि की विभीषिका की रोकथाम तथा उसे नियंत्रित करने के लिए महर्षि जी द्वारा प्रदान किया गया है। हमें आतंकवादियों से वार्तालाप कर उन्हें हिंसा रोकने के लिए मनाने की आवश्यकता नहीं है। न ही उन्हें मान गिराने की आवश्यकता है। यह तकनीक शांत रूप से प्रभाव डालती है, वैज्ञानिकों ने इसे ‘फील्ड इफेक्ट’ (क्षैत्र प्रभाव) के सिद्धांत पर कार्य करने वाली तकनीक बताया है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि आतंक और आतंकवादी योगिक फ्लायर्स द्वारा उत्पन्न किये गये सतोगुण का प्रभाव क्षेत्र, हमारी सीमाओं से परे विस्तारित हो, तब भी संभावित शत्रु शांति प्रस्ताव से सकारात्मक रूप से प्रभावित होगा। इस प्रकार से हम शत्रुता को मित्रता में परिवर्तित कर सकते हैं। वैश्विक हिंसा को एक अत्यंत सरल, कम व्यय, अहिंसा के मार्ग से नियंत्रित कर सकते हैं। भारतीय और वैश्विक शांति की कुंजी योगिक फ्लायर्स की संख्या में निहित है। हम सबको संयुक्त प्रयास करना चाहिये कि हम सब समाज के उत्तरदायी नागरिक हमारी सरकार को इस तकनीक की सूचना दे और भारत वे विश्व परिवार के हित में नित्य इस तकनीक का प्रयोग करके एक अजेय कवच के निर्माण में अति आवश्यक और सामयिक भूमिका निभायें।
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