गन्धर्व वेद से जीवन सुगन्धमय -ब्रह्मचारी गिरीश 28 जुर्लाइ 2018 भोपाल,
‘श्री गुरूपूर्णिमा महोत्सव के प्रथम दिवस हमें दैवीय इच्छा की पूर्ति का आशीर्वाद मिला है, जो हमें नये संकल्पों को पूरा करने की शक्ति एवं सम्बल प्रदान करेगा। आज का द्वितीय दिवस गन्धर्ववेद को समर्पित है क्योंकि गन्धर्ववेद से जीवन सुगन्धमय बनता है। महर्षि जी को गन्धर्ववेद बहुत प्रिय था। महर्षि संस्थान ने गन्धर्ववेद के लगभग 3000 से अधिक कन्र्सट पूरे विश्व में आयोजित करवाये थे जिसमें देश एवं विदेश के र्कइ नवोदित एवं नामी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी थीं उक्त बात आज महर्षि उत्सव भवन छान में श्री गुरूपूर्णिमा महोत्सव के द्वितीय दिवस की अध्यक्षता करते हुए महर्षि विद्या मन्दिर समूह के अध्यक्ष ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कही। इस अवसर पर गुरू पूर्णिमा महोत्सव को सफल एवं साकार रूप देने के लिए ब्रह्मचारी गिरीश ने समस्त कुलपतियों, निदेशकों, अधिकारियों एवं प्राचार्यों का धन्यवाद भी ज्ञापित किया। गुरूपूर्णिमा महोत्सव का द्वितीय दिवस महर्षि संस्थान की परम्परा के अनुरूप गुरू पूजन से प्रारम्भ हुआ। 5 वैदिक पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच ब्रह्मचारी गिरीश एवं अन्य विषिष्ट अतिथियों ने गुरू पूजन किया। असम राज्य के गुवाहाटी महर्षि विद्या मन्दिर स्कूल की छात्राओं ने नृत्य के माध्यम से रामकथा का सफल मंचन किया। इस नृत्य में सम्पूर्ण रामलीला को मंचित किया गया था जो कि अत्यन्त भावपूर्ण एवं मनमोहक प्रस्तुति थी। महर्षि विद्या मन्दिर शहडोल के बच्चों ने गायन प्रस्तुत किया। गुरू वंदना का यह कार्यक्रम अत्यन्त भावपूर्ण एवं आत्मविभोर करने वाला था। महर्षि विद्या मन्दिर नोएडा के छात्रों ने ‘नमामि गंगे’ नृत्य की प्रस्तुति दी इसमें गंगा का गुणगान कर उसकी उपयोगिता का विशद् चित्रण किया गया था, यह प्रस्तुति हृदयाकर्षक थी। महर्षि विद्या मन्दिर जबलपुर के छात्र-छात्राओं द्वारा भगवान श्रीराम का स्तुति गान प्रस्तुत किया गया। जय राम राम के बोल से भगवान श्रीराम का स्तुति गान अत्यन्त भाव विभोर करने वाला था।
महर्षि विद्या मन्दिर भण्डारा के छात्र-छात्राओं ने अपना नृत्य गणेश वन्दना से प्रारम्भ किया, महाराष्ट्र की लोक संस्कृति के अनुरूप सर्वप्रथम शंख ध्वनि के बीच गणेश पूजन किया गया इसके बाद नृत्य प्रारम्भ हुआ। नृत्य एवं गायन की यह सम्मिलित गणेश वन्दना की प्रस्तुति अत्यन्त मनमोहक एवं महाराष्ट्र की जीवन शैली एवं संस्कृति से ओत प्रोत थी। महाराष्ट्र की पारम्परिक वेश-भूषा नृत्य एवं गायन में चार चाँद लगा रहे थे। महर्षि विद्या मन्दिर रतनपुर भोपाल के छात्र-छात्राओं ने सद्गुरू को समर्पित गायन ‘मेरी नैया पार लगा दे मेरे सद्गुरू’ के बोल पर गुरू की स्तुति का यह गायन अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा। महर्षि विद्या मन्दिर सिल्चर के छात्र-छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुत किया। वर्षा ऋतु को वर्णित करते हुये इस नृत्य ने अत्यन्त भावपूर्ण भाव भंगीमाओं से दर्षको को सम्मोहित कर बाँध लिया। महर्षि विद्या मन्दिर शहडोल के छात्र छात्राओं ने राम चरित मानस की चैपाईयों पर आधारित भजन की शानदार प्रस्तुति दी। महर्षि विद्या मन्दिर गुवाहाटी की छात्र-छात्राओं ने बिहू का नृत्य प्रस्तुत किया। असम की लोक संस्कृति से ओत-प्रोत पहनावे एवं भाव भंगिमा से परिपूर्ण बिहू नृत्य को मंच पर साकार कर दिया। नव वर्ष आगमन की खुशी में किया जाने वाल असमी लोक नृत्य महर्षि विश्व शान्ति आन्दोलन के ग्यारहवें वर्ष में प्रवेष को रेखांकित कर रहा था। अंत में विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना सुश्री श्वेता देवेन्द्र एवं उनके समूह द्वारा भरत नाट्यम की शानदार प्रस्तुति दी गई, जिसमें देवों की स्तुति, मिश्र जाति आदि सम्मिलित थे।
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